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Monday 2 September 2019
Friday 2 August 2019
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Thursday 25 July 2019
jeevankasatya
jeevankasatya.com
कोई भी ऐसा कार्य जिससे कष्ट या दुःख उत्पन्न हो अथवा हानिकारक हो वह शोषण कहलाता है । शोषण मुख्य चार प्रकार के होते हैं शारीरिक शोषण, मानसिक शोषण, आर्थिक शोषण एवं सामाजिक शोषण । शोषण पीड़ादायक एवं अनुचित कार्य है इसलिए यह अपराध की श्रेणी में आता है । शोषण अपराध की श्रेणी में होने के पश्चात भी सबसे अधिक किया जाने वाला कृत्य है । शोषण अपराध की ईकाई है क्योंकि शोषण करने की प्रवृति ही इन्सान की मानसिकता में अपराध को बढ़ावा देती है । शोषण करने के अनेक कारण हैं मुख्यतः स्वार्थ व लोभ के कारण, ईर्षा या घृणा के कारण, अभिलाषा पूर्ति के कारण, क्रोध व आक्रोश के कारण, अहंकार के वशीभूत अथवा मानसिक विकृति के कारण । कारण कोई भी हो शोषण करना सिर्फ अपराधिक कार्य है तथा शोषण करना नकारात्मक मानसिकता एवं मनोविकृति है ।
किसी के साथ किसी भी प्रकार का हिंसात्मक कार्य अथवा उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे किसी प्रकार का शारीरिक कष्ट प्रदान करना शारीरिक शोषण की श्रेणी में आता है । शारीरिक शोषण सर्वप्रथम घरों से ही आरम्भ हो जाता है जिसमें शारीरिक आघात तथा बलात्कार जैसे जघन्य कृत्य शामिल होते हैं । परिवार में खुद को महत्वपूर्ण समझने एवं दिखने के लिए तथा अपना वर्चस्व कायम करने के लिए परिवार के किसी सदस्य द्वारा दूसरे सदस्यों का शोषण करना साधारण कार्य है । घरों में सर्वाधिक शोषण नारी वर्ग का होता है तथा शोषण करने वालों में परिवार के अतिरिक्त रिश्तेदार एवं परिवार के नजदीकी मित्र अथवा सम्बन्धी होते हैं । कभी-कभी घरेलू नौकर या पड़ोसी भी बच्चों या स्त्री को आक्रांतित करके या लोभ देकर अथवा किसी कमजोरी का लाभ उठाकर उनका शारीरिक शोषण कर देते हैं । शारीरक शोषण से पीड़ित इन्सान आक्रांतित मानसिकता में जीवन व्यतीत करता है या कभी-कभी विक्षिप्त मानसिकता के कारण चिडचिडा या हिंसात्मक हो जाता है ।
किसी को उसके मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करना, मानसिक कष्ट देना, हताशा उत्पन्न करना, आक्रांतित करना अथवा किसी अनुचित कार्य के लिए बाध्य करना मानसिक शोषण की श्रेणी में आते हैं । इन्सान का मानसिक शोषण करने वाला अधिकतर उसका कोई अपना ही होता है अथवा अपना बनकर करता है जो अपने लोभ, स्वार्थ या ईर्षा के कारण मानसिक शोषण करने पर उतारू हो जाता है । मानसिक शोषण करने के तरीके भी शोषण के प्रकार पर निर्भर करते हैं जिसका अनुमान भी शोषण के शिकार को नहीं होता । शोषण करने वाला अपने शिकार के मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करने के लिए उसे मनोरंजन, नशे अथवा अय्याशी के साधनों में उलझा देता है । मानसिक कष्ट देने के लिए कार्य में बाधा उत्पन्न करना या कार्य से भटकाना, हौसला पस्त करके हताशा उत्पन्न करना या भ्रम उत्पन्न करके आक्रांतित करना । आपसी झगड़े करवाना या अनुचित कार्य के लिए उकसाना अथवा बाध्य करके फँसाना शोषण करने के तरीके होते हैं । गलत मार्ग दर्शन धीमे जहर की तरह मस्तिक पर अपनी पकड़ बनाकर मानसिकता का विनाश कर देता है ।
किसी के धन या सम्पत्ति को किसी भी प्रकार की हानि पहुँचाना आर्थिक शोषण कहलाता है । आर्थिक शोषण संसार में सर्वाधिक होने वाला अपराध है । आर्थिक शोषण करने के लिए इन्सान से किसी प्रकार का सम्बन्ध होना आवश्यक नहीं है सिर्फ अवसर प्राप्त होते ही कोई भी हानि पहुँचा देता है आर्थिक शोषण के लिए अपने हों या पराये सदैव अवसर की तलाश में रहते हैं । आर्थिक शोषण के मुख्य तरीके हैं मजबूरी या जरूरत का लाभ उठाना, लत लगाकर फंसाना, धोखे से ठगना वगैरह । मजबूरी या जरूरत का लाभ अपने पराये सभी उठाते हैं जो सहायता के नाम पर जाल में फंसा कर लूटते हैं जिसमे अपने दूसरों का नाम लेकर व पराये खुलकर लूटते हैं कार्य करवाने के बदले रिश्वत वसूलना मजबूरी का लाभ उठाना ही है । नशे, जुए या अय्याशी की लत लगाकर मनचाहे तरीके से शोषण करना शोषण करने वालों का सुदृढ़ जाल है । धन या सम्पत्ति का आकर्षण इन्सान की बुद्धि भ्रष्ट कर देता है जिसके लिए वह अपनों को भी धोखा देने से परहेज नहीं करता । जो इन्सान आर्थिक शोषण नहीं कर पाते उसका कारण अवसर प्राप्त ना होना है या तरीका उपलब्ध ना होने अथवा साहस ना होने पर । जो इन्सान अपने सम्मान एवं स्वाभिमान को महत्व देते हैं वह कभी किसी का शोषण नहीं कर पाते ।
किसी को समाज में बदनाम करना तथा उसके सम्मान पर आघात करना सामाजिक शोषण होता है । सामाजिक शोषण वास्तव में कोई अपना ही नजदीकी ईर्षा के कारण करता है जिससे समाजिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो तथा सामाजिक बहिष्कार हो जाए । इन्सान का समाज में बदनाम होने से प्रभाव समाप्त हो जाता है जिसके कारण उसे समाज से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होती । मुसीबत के समय जो सहायता समाज से प्राप्त हो सकती थी वह बदनामी के पश्चात कभी प्राप्त नहीं होती । सामाजिक बदनामी से परिवार के विवाह सम्बन्धों पर भी बहुत गहरा असर पड़ता है क्योंकि बदनाम से कोई भी अपने सम्बन्ध बनाना नहीं चाहता ।
शोषण किसी भी प्रकार का हो उसके मुख्य कारण अधिक विश्वास या अन्धविश्वास, असावधानी, लाचारी अथवा किसी प्रकार की कमजोरी का होना है । जीवन में विश्वास करना आवश्यक है क्योंकि सम्बन्ध विश्वास की नींव पर ही टिके होते हैं परन्तु जब विश्वास अधिक बढ़ जाता है तो वह अन्धविश्वास बन जाता है तथा अंधेपन का सभी लाभ उठाते हैं । अपना हो या पराया विश्वास करना श्रेष्ठ है परन्तु सावधानी की मर्यादा में रहकर ही विश्वास श्रेष्ठ होता है अन्यथा विश्वास का विश्वासघात बन जाता है । कितना भी प्रिय सम्बन्ध हो असावधानी हानिकारक होती है क्योंकि सावधानी हटी दुर्घटना घटी अटूट सत्य है । लाचारी हो या किसी प्रकार की कमजोरी किसी के समक्ष प्रकट करना मूर्खता है क्योंकि वह सहायता करे या ना करे अवसर प्राप्त होते ही लाभ अवश्य उठाता है । शोषण से बचने का सर्वोतम उपाय है शोषण को अतिशीघ्र सार्वजनिक करना तथा शोषण करने वालों की वास्विकता सार्वजनिक प्रकट करना । रिश्तों,सम्बन्धों, परिवार की मर्यादा या अपमान से डरकर चुप रहना मूर्खता होती है क्योंकि अनुचित कार्य शोषण करने वाला कर रहा है और हमारी चुप्पी उसकी रक्षा कर रही है । शोषण के प्रति चुप रहकर इन्सान शोषण करने वाले का हौसला बढाता है इस प्रकार अपराधी का साथ देने से पीड़ित स्वयं अपराधी बन जाता है । रिश्ता खून का भी हो यदि वह खून चूसने लगे या खून बहाने का प्रयास करे उसका त्याग करना ही बुद्धिमानी होती है क्योंकि जीवन सर्वोपरी है और जीवन की रक्षा करना प्रथम कर्तव्य है ।
कोई भी ऐसा कार्य जिससे कष्ट या दुःख उत्पन्न हो अथवा हानिकारक हो वह शोषण कहलाता है । शोषण मुख्य चार प्रकार के होते हैं शारीरिक शोषण, मानसिक शोषण, आर्थिक शोषण एवं सामाजिक शोषण । शोषण पीड़ादायक एवं अनुचित कार्य है इसलिए यह अपराध की श्रेणी में आता है । शोषण अपराध की श्रेणी में होने के पश्चात भी सबसे अधिक किया जाने वाला कृत्य है । शोषण अपराध की ईकाई है क्योंकि शोषण करने की प्रवृति ही इन्सान की मानसिकता में अपराध को बढ़ावा देती है । शोषण करने के अनेक कारण हैं मुख्यतः स्वार्थ व लोभ के कारण, ईर्षा या घृणा के कारण, अभिलाषा पूर्ति के कारण, क्रोध व आक्रोश के कारण, अहंकार के वशीभूत अथवा मानसिक विकृति के कारण । कारण कोई भी हो शोषण करना सिर्फ अपराधिक कार्य है तथा शोषण करना नकारात्मक मानसिकता एवं मनोविकृति है ।
किसी के साथ किसी भी प्रकार का हिंसात्मक कार्य अथवा उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे किसी प्रकार का शारीरिक कष्ट प्रदान करना शारीरिक शोषण की श्रेणी में आता है । शारीरिक शोषण सर्वप्रथम घरों से ही आरम्भ हो जाता है जिसमें शारीरिक आघात तथा बलात्कार जैसे जघन्य कृत्य शामिल होते हैं । परिवार में खुद को महत्वपूर्ण समझने एवं दिखने के लिए तथा अपना वर्चस्व कायम करने के लिए परिवार के किसी सदस्य द्वारा दूसरे सदस्यों का शोषण करना साधारण कार्य है । घरों में सर्वाधिक शोषण नारी वर्ग का होता है तथा शोषण करने वालों में परिवार के अतिरिक्त रिश्तेदार एवं परिवार के नजदीकी मित्र अथवा सम्बन्धी होते हैं । कभी-कभी घरेलू नौकर या पड़ोसी भी बच्चों या स्त्री को आक्रांतित करके या लोभ देकर अथवा किसी कमजोरी का लाभ उठाकर उनका शारीरिक शोषण कर देते हैं । शारीरक शोषण से पीड़ित इन्सान आक्रांतित मानसिकता में जीवन व्यतीत करता है या कभी-कभी विक्षिप्त मानसिकता के कारण चिडचिडा या हिंसात्मक हो जाता है ।
किसी को उसके मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करना, मानसिक कष्ट देना, हताशा उत्पन्न करना, आक्रांतित करना अथवा किसी अनुचित कार्य के लिए बाध्य करना मानसिक शोषण की श्रेणी में आते हैं । इन्सान का मानसिक शोषण करने वाला अधिकतर उसका कोई अपना ही होता है अथवा अपना बनकर करता है जो अपने लोभ, स्वार्थ या ईर्षा के कारण मानसिक शोषण करने पर उतारू हो जाता है । मानसिक शोषण करने के तरीके भी शोषण के प्रकार पर निर्भर करते हैं जिसका अनुमान भी शोषण के शिकार को नहीं होता । शोषण करने वाला अपने शिकार के मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करने के लिए उसे मनोरंजन, नशे अथवा अय्याशी के साधनों में उलझा देता है । मानसिक कष्ट देने के लिए कार्य में बाधा उत्पन्न करना या कार्य से भटकाना, हौसला पस्त करके हताशा उत्पन्न करना या भ्रम उत्पन्न करके आक्रांतित करना । आपसी झगड़े करवाना या अनुचित कार्य के लिए उकसाना अथवा बाध्य करके फँसाना शोषण करने के तरीके होते हैं । गलत मार्ग दर्शन धीमे जहर की तरह मस्तिक पर अपनी पकड़ बनाकर मानसिकता का विनाश कर देता है ।
किसी के धन या सम्पत्ति को किसी भी प्रकार की हानि पहुँचाना आर्थिक शोषण कहलाता है । आर्थिक शोषण संसार में सर्वाधिक होने वाला अपराध है । आर्थिक शोषण करने के लिए इन्सान से किसी प्रकार का सम्बन्ध होना आवश्यक नहीं है सिर्फ अवसर प्राप्त होते ही कोई भी हानि पहुँचा देता है आर्थिक शोषण के लिए अपने हों या पराये सदैव अवसर की तलाश में रहते हैं । आर्थिक शोषण के मुख्य तरीके हैं मजबूरी या जरूरत का लाभ उठाना, लत लगाकर फंसाना, धोखे से ठगना वगैरह । मजबूरी या जरूरत का लाभ अपने पराये सभी उठाते हैं जो सहायता के नाम पर जाल में फंसा कर लूटते हैं जिसमे अपने दूसरों का नाम लेकर व पराये खुलकर लूटते हैं कार्य करवाने के बदले रिश्वत वसूलना मजबूरी का लाभ उठाना ही है । नशे, जुए या अय्याशी की लत लगाकर मनचाहे तरीके से शोषण करना शोषण करने वालों का सुदृढ़ जाल है । धन या सम्पत्ति का आकर्षण इन्सान की बुद्धि भ्रष्ट कर देता है जिसके लिए वह अपनों को भी धोखा देने से परहेज नहीं करता । जो इन्सान आर्थिक शोषण नहीं कर पाते उसका कारण अवसर प्राप्त ना होना है या तरीका उपलब्ध ना होने अथवा साहस ना होने पर । जो इन्सान अपने सम्मान एवं स्वाभिमान को महत्व देते हैं वह कभी किसी का शोषण नहीं कर पाते ।
किसी को समाज में बदनाम करना तथा उसके सम्मान पर आघात करना सामाजिक शोषण होता है । सामाजिक शोषण वास्तव में कोई अपना ही नजदीकी ईर्षा के कारण करता है जिससे समाजिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो तथा सामाजिक बहिष्कार हो जाए । इन्सान का समाज में बदनाम होने से प्रभाव समाप्त हो जाता है जिसके कारण उसे समाज से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होती । मुसीबत के समय जो सहायता समाज से प्राप्त हो सकती थी वह बदनामी के पश्चात कभी प्राप्त नहीं होती । सामाजिक बदनामी से परिवार के विवाह सम्बन्धों पर भी बहुत गहरा असर पड़ता है क्योंकि बदनाम से कोई भी अपने सम्बन्ध बनाना नहीं चाहता ।
शोषण किसी भी प्रकार का हो उसके मुख्य कारण अधिक विश्वास या अन्धविश्वास, असावधानी, लाचारी अथवा किसी प्रकार की कमजोरी का होना है । जीवन में विश्वास करना आवश्यक है क्योंकि सम्बन्ध विश्वास की नींव पर ही टिके होते हैं परन्तु जब विश्वास अधिक बढ़ जाता है तो वह अन्धविश्वास बन जाता है तथा अंधेपन का सभी लाभ उठाते हैं । अपना हो या पराया विश्वास करना श्रेष्ठ है परन्तु सावधानी की मर्यादा में रहकर ही विश्वास श्रेष्ठ होता है अन्यथा विश्वास का विश्वासघात बन जाता है । कितना भी प्रिय सम्बन्ध हो असावधानी हानिकारक होती है क्योंकि सावधानी हटी दुर्घटना घटी अटूट सत्य है । लाचारी हो या किसी प्रकार की कमजोरी किसी के समक्ष प्रकट करना मूर्खता है क्योंकि वह सहायता करे या ना करे अवसर प्राप्त होते ही लाभ अवश्य उठाता है । शोषण से बचने का सर्वोतम उपाय है शोषण को अतिशीघ्र सार्वजनिक करना तथा शोषण करने वालों की वास्विकता सार्वजनिक प्रकट करना । रिश्तों,सम्बन्धों, परिवार की मर्यादा या अपमान से डरकर चुप रहना मूर्खता होती है क्योंकि अनुचित कार्य शोषण करने वाला कर रहा है और हमारी चुप्पी उसकी रक्षा कर रही है । शोषण के प्रति चुप रहकर इन्सान शोषण करने वाले का हौसला बढाता है इस प्रकार अपराधी का साथ देने से पीड़ित स्वयं अपराधी बन जाता है । रिश्ता खून का भी हो यदि वह खून चूसने लगे या खून बहाने का प्रयास करे उसका त्याग करना ही बुद्धिमानी होती है क्योंकि जीवन सर्वोपरी है और जीवन की रक्षा करना प्रथम कर्तव्य है ।
शोषण
कोई भी ऐसा कार्य जिससे कष्ट या दुःख उत्पन्न हो अथवा हानिकारक हो वह शोषण कहलाता है । शोषण मुख्य चार प्रकार के होते हैं शारीरिक शोषण, मानसिक शोषण, आर्थिक शोषण एवं सामाजिक शोषण । शोषण पीड़ादायक एवं अनुचित कार्य है इसलिए यह अपराध की श्रेणी में आता है । शोषण अपराध की श्रेणी में होने के पश्चात भी सबसे अधिक किया जाने वाला कृत्य है । शोषण अपराध की ईकाई है क्योंकि शोषण करने की प्रवृति ही इन्सान की मानसिकता में अपराध को बढ़ावा देती है । शोषण करने के अनेक कारण हैं मुख्यतः स्वार्थ व लोभ के कारण, ईर्षा या घृणा के कारण, अभिलाषा पूर्ति के कारण, क्रोध व आक्रोश के कारण, अहंकार के वशीभूत अथवा मानसिक विकृति के कारण । कारण कोई भी हो शोषण करना सिर्फ अपराधिक कार्य है तथा शोषण करना नकारात्मक मानसिकता एवं मनोविकृति है ।
किसी के साथ किसी भी प्रकार का हिंसात्मक कार्य अथवा उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे किसी प्रकार का शारीरिक कष्ट प्रदान करना शारीरिक शोषण की श्रेणी में आता है । शारीरिक शोषण सर्वप्रथम घरों से ही आरम्भ हो जाता है जिसमें शारीरिक आघात तथा बलात्कार जैसे जघन्य कृत्य शामिल होते हैं । परिवार में खुद को महत्वपूर्ण समझने एवं दिखने के लिए तथा अपना वर्चस्व कायम करने के लिए परिवार के किसी सदस्य द्वारा दूसरे सदस्यों का शोषण करना साधारण कार्य है । घरों में सर्वाधिक शोषण नारी वर्ग का होता है तथा शोषण करने वालों में परिवार के अतिरिक्त रिश्तेदार एवं परिवार के नजदीकी मित्र अथवा सम्बन्धी होते हैं । कभी-कभी घरेलू नौकर या पड़ोसी भी बच्चों या स्त्री को आक्रांतित करके या लोभ देकर अथवा किसी कमजोरी का लाभ उठाकर उनका शारीरिक शोषण कर देते हैं । शारीरक शोषण से पीड़ित इन्सान आक्रांतित मानसिकता में जीवन व्यतीत करता है या कभी-कभी विक्षिप्त मानसिकता के कारण चिडचिडा या हिंसात्मक हो जाता है ।
किसी को उसके मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करना, मानसिक कष्ट देना, हताशा उत्पन्न करना, आक्रांतित करना अथवा किसी अनुचित कार्य के लिए बाध्य करना मानसिक शोषण की श्रेणी में आते हैं । इन्सान का मानसिक शोषण करने वाला अधिकतर उसका कोई अपना ही होता है अथवा अपना बनकर करता है जो अपने लोभ, स्वार्थ या ईर्षा के कारण मानसिक शोषण करने पर उतारू हो जाता है । मानसिक शोषण करने के तरीके भी शोषण के प्रकार पर निर्भर करते हैं जिसका अनुमान भी शोषण के शिकार को नहीं होता । शोषण करने वाला अपने शिकार के मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करने के लिए उसे मनोरंजन, नशे अथवा अय्याशी के साधनों में उलझा देता है । मानसिक कष्ट देने के लिए कार्य में बाधा उत्पन्न करना या कार्य से भटकाना, हौसला पस्त करके हताशा उत्पन्न करना या भ्रम उत्पन्न करके आक्रांतित करना । आपसी झगड़े करवाना या अनुचित कार्य के लिए उकसाना अथवा बाध्य करके फँसाना शोषण करने के तरीके होते हैं । गलत मार्ग दर्शन धीमे जहर की तरह मस्तिक पर अपनी पकड़ बनाकर मानसिकता का विनाश कर देता है ।
किसी के धन या सम्पत्ति को किसी भी प्रकार की हानि पहुँचाना आर्थिक शोषण कहलाता है । आर्थिक शोषण संसार में सर्वाधिक होने वाला अपराध है । आर्थिक शोषण करने के लिए इन्सान से किसी प्रकार का सम्बन्ध होना आवश्यक नहीं है सिर्फ अवसर प्राप्त होते ही कोई भी हानि पहुँचा देता है आर्थिक शोषण के लिए अपने हों या पराये सदैव अवसर की तलाश में रहते हैं । आर्थिक शोषण के मुख्य तरीके हैं मजबूरी या जरूरत का लाभ उठाना, लत लगाकर फंसाना, धोखे से ठगना वगैरह । मजबूरी या जरूरत का लाभ अपने पराये सभी उठाते हैं जो सहायता के नाम पर जाल में फंसा कर लूटते हैं जिसमे अपने दूसरों का नाम लेकर व पराये खुलकर लूटते हैं कार्य करवाने के बदले रिश्वत वसूलना मजबूरी का लाभ उठाना ही है । नशे, जुए या अय्याशी की लत लगाकर मनचाहे तरीके से शोषण करना शोषण करने वालों का सुदृढ़ जाल है । धन या सम्पत्ति का आकर्षण इन्सान की बुद्धि भ्रष्ट कर देता है जिसके लिए वह अपनों को भी धोखा देने से परहेज नहीं करता । जो इन्सान आर्थिक शोषण नहीं कर पाते उसका कारण अवसर प्राप्त ना होना है या तरीका उपलब्ध ना होने अथवा साहस ना होने पर । जो इन्सान अपने सम्मान एवं स्वाभिमान को महत्व देते हैं वह कभी किसी का शोषण नहीं कर पाते ।
किसी को समाज में बदनाम करना तथा उसके सम्मान पर आघात करना सामाजिक शोषण होता है । सामाजिक शोषण वास्तव में कोई अपना ही नजदीकी ईर्षा के कारण करता है जिससे समाजिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो तथा सामाजिक बहिष्कार हो जाए । इन्सान का समाज में बदनाम होने से प्रभाव समाप्त हो जाता है जिसके कारण उसे समाज से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होती । मुसीबत के समय जो सहायता समाज से प्राप्त हो सकती थी वह बदनामी के पश्चात कभी प्राप्त नहीं होती । सामाजिक बदनामी से परिवार के विवाह सम्बन्धों पर भी बहुत गहरा असर पड़ता है क्योंकि बदनाम से कोई भी अपने सम्बन्ध बनाना नहीं चाहता ।
शोषण किसी भी प्रकार का हो उसके मुख्य कारण अधिक विश्वास या अन्धविश्वास, असावधानी, लाचारी अथवा किसी प्रकार की कमजोरी का होना है । जीवन में विश्वास करना आवश्यक है क्योंकि सम्बन्ध विश्वास की नींव पर ही टिके होते हैं परन्तु जब विश्वास अधिक बढ़ जाता है तो वह अन्धविश्वास बन जाता है तथा अंधेपन का सभी लाभ उठाते हैं । अपना हो या पराया विश्वास करना श्रेष्ठ है परन्तु सावधानी की मर्यादा में रहकर ही विश्वास श्रेष्ठ होता है अन्यथा विश्वास का विश्वासघात बन जाता है । कितना भी प्रिय सम्बन्ध हो असावधानी हानिकारक होती है क्योंकि सावधानी हटी दुर्घटना घटी अटूट सत्य है । लाचारी हो या किसी प्रकार की कमजोरी किसी के समक्ष प्रकट करना मूर्खता है क्योंकि वह सहायता करे या ना करे अवसर प्राप्त होते ही लाभ अवश्य उठाता है । शोषण से बचने का सर्वोतम उपाय है शोषण को अतिशीघ्र सार्वजनिक करना तथा शोषण करने वालों की वास्विकता सार्वजनिक प्रकट करना । रिश्तों,सम्बन्धों, परिवार की मर्यादा या अपमान से डरकर चुप रहना मूर्खता होती है क्योंकि अनुचित कार्य शोषण करने वाला कर रहा है और हमारी चुप्पी उसकी रक्षा कर रही है । शोषण के प्रति चुप रहकर इन्सान शोषण करने वाले का हौसला बढाता है इस प्रकार अपराधी का साथ देने से पीड़ित स्वयं अपराधी बन जाता है । रिश्ता खून का भी हो यदि वह खून चूसने लगे या खून बहाने का प्रयास करे उसका त्याग करना ही बुद्धिमानी होती है क्योंकि जीवन सर्वोपरी है और जीवन की रक्षा करना प्रथम कर्तव्य है ।
कोई भी ऐसा कार्य जिससे कष्ट या दुःख उत्पन्न हो अथवा हानिकारक हो वह शोषण कहलाता है । शोषण मुख्य चार प्रकार के होते हैं शारीरिक शोषण, मानसिक शोषण, आर्थिक शोषण एवं सामाजिक शोषण । शोषण पीड़ादायक एवं अनुचित कार्य है इसलिए यह अपराध की श्रेणी में आता है । शोषण अपराध की श्रेणी में होने के पश्चात भी सबसे अधिक किया जाने वाला कृत्य है । शोषण अपराध की ईकाई है क्योंकि शोषण करने की प्रवृति ही इन्सान की मानसिकता में अपराध को बढ़ावा देती है । शोषण करने के अनेक कारण हैं मुख्यतः स्वार्थ व लोभ के कारण, ईर्षा या घृणा के कारण, अभिलाषा पूर्ति के कारण, क्रोध व आक्रोश के कारण, अहंकार के वशीभूत अथवा मानसिक विकृति के कारण । कारण कोई भी हो शोषण करना सिर्फ अपराधिक कार्य है तथा शोषण करना नकारात्मक मानसिकता एवं मनोविकृति है ।
किसी के साथ किसी भी प्रकार का हिंसात्मक कार्य अथवा उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे किसी प्रकार का शारीरिक कष्ट प्रदान करना शारीरिक शोषण की श्रेणी में आता है । शारीरिक शोषण सर्वप्रथम घरों से ही आरम्भ हो जाता है जिसमें शारीरिक आघात तथा बलात्कार जैसे जघन्य कृत्य शामिल होते हैं । परिवार में खुद को महत्वपूर्ण समझने एवं दिखने के लिए तथा अपना वर्चस्व कायम करने के लिए परिवार के किसी सदस्य द्वारा दूसरे सदस्यों का शोषण करना साधारण कार्य है । घरों में सर्वाधिक शोषण नारी वर्ग का होता है तथा शोषण करने वालों में परिवार के अतिरिक्त रिश्तेदार एवं परिवार के नजदीकी मित्र अथवा सम्बन्धी होते हैं । कभी-कभी घरेलू नौकर या पड़ोसी भी बच्चों या स्त्री को आक्रांतित करके या लोभ देकर अथवा किसी कमजोरी का लाभ उठाकर उनका शारीरिक शोषण कर देते हैं । शारीरक शोषण से पीड़ित इन्सान आक्रांतित मानसिकता में जीवन व्यतीत करता है या कभी-कभी विक्षिप्त मानसिकता के कारण चिडचिडा या हिंसात्मक हो जाता है ।
किसी को उसके मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करना, मानसिक कष्ट देना, हताशा उत्पन्न करना, आक्रांतित करना अथवा किसी अनुचित कार्य के लिए बाध्य करना मानसिक शोषण की श्रेणी में आते हैं । इन्सान का मानसिक शोषण करने वाला अधिकतर उसका कोई अपना ही होता है अथवा अपना बनकर करता है जो अपने लोभ, स्वार्थ या ईर्षा के कारण मानसिक शोषण करने पर उतारू हो जाता है । मानसिक शोषण करने के तरीके भी शोषण के प्रकार पर निर्भर करते हैं जिसका अनुमान भी शोषण के शिकार को नहीं होता । शोषण करने वाला अपने शिकार के मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करने के लिए उसे मनोरंजन, नशे अथवा अय्याशी के साधनों में उलझा देता है । मानसिक कष्ट देने के लिए कार्य में बाधा उत्पन्न करना या कार्य से भटकाना, हौसला पस्त करके हताशा उत्पन्न करना या भ्रम उत्पन्न करके आक्रांतित करना । आपसी झगड़े करवाना या अनुचित कार्य के लिए उकसाना अथवा बाध्य करके फँसाना शोषण करने के तरीके होते हैं । गलत मार्ग दर्शन धीमे जहर की तरह मस्तिक पर अपनी पकड़ बनाकर मानसिकता का विनाश कर देता है ।
किसी के धन या सम्पत्ति को किसी भी प्रकार की हानि पहुँचाना आर्थिक शोषण कहलाता है । आर्थिक शोषण संसार में सर्वाधिक होने वाला अपराध है । आर्थिक शोषण करने के लिए इन्सान से किसी प्रकार का सम्बन्ध होना आवश्यक नहीं है सिर्फ अवसर प्राप्त होते ही कोई भी हानि पहुँचा देता है आर्थिक शोषण के लिए अपने हों या पराये सदैव अवसर की तलाश में रहते हैं । आर्थिक शोषण के मुख्य तरीके हैं मजबूरी या जरूरत का लाभ उठाना, लत लगाकर फंसाना, धोखे से ठगना वगैरह । मजबूरी या जरूरत का लाभ अपने पराये सभी उठाते हैं जो सहायता के नाम पर जाल में फंसा कर लूटते हैं जिसमे अपने दूसरों का नाम लेकर व पराये खुलकर लूटते हैं कार्य करवाने के बदले रिश्वत वसूलना मजबूरी का लाभ उठाना ही है । नशे, जुए या अय्याशी की लत लगाकर मनचाहे तरीके से शोषण करना शोषण करने वालों का सुदृढ़ जाल है । धन या सम्पत्ति का आकर्षण इन्सान की बुद्धि भ्रष्ट कर देता है जिसके लिए वह अपनों को भी धोखा देने से परहेज नहीं करता । जो इन्सान आर्थिक शोषण नहीं कर पाते उसका कारण अवसर प्राप्त ना होना है या तरीका उपलब्ध ना होने अथवा साहस ना होने पर । जो इन्सान अपने सम्मान एवं स्वाभिमान को महत्व देते हैं वह कभी किसी का शोषण नहीं कर पाते ।
किसी को समाज में बदनाम करना तथा उसके सम्मान पर आघात करना सामाजिक शोषण होता है । सामाजिक शोषण वास्तव में कोई अपना ही नजदीकी ईर्षा के कारण करता है जिससे समाजिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो तथा सामाजिक बहिष्कार हो जाए । इन्सान का समाज में बदनाम होने से प्रभाव समाप्त हो जाता है जिसके कारण उसे समाज से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होती । मुसीबत के समय जो सहायता समाज से प्राप्त हो सकती थी वह बदनामी के पश्चात कभी प्राप्त नहीं होती । सामाजिक बदनामी से परिवार के विवाह सम्बन्धों पर भी बहुत गहरा असर पड़ता है क्योंकि बदनाम से कोई भी अपने सम्बन्ध बनाना नहीं चाहता ।
शोषण किसी भी प्रकार का हो उसके मुख्य कारण अधिक विश्वास या अन्धविश्वास, असावधानी, लाचारी अथवा किसी प्रकार की कमजोरी का होना है । जीवन में विश्वास करना आवश्यक है क्योंकि सम्बन्ध विश्वास की नींव पर ही टिके होते हैं परन्तु जब विश्वास अधिक बढ़ जाता है तो वह अन्धविश्वास बन जाता है तथा अंधेपन का सभी लाभ उठाते हैं । अपना हो या पराया विश्वास करना श्रेष्ठ है परन्तु सावधानी की मर्यादा में रहकर ही विश्वास श्रेष्ठ होता है अन्यथा विश्वास का विश्वासघात बन जाता है । कितना भी प्रिय सम्बन्ध हो असावधानी हानिकारक होती है क्योंकि सावधानी हटी दुर्घटना घटी अटूट सत्य है । लाचारी हो या किसी प्रकार की कमजोरी किसी के समक्ष प्रकट करना मूर्खता है क्योंकि वह सहायता करे या ना करे अवसर प्राप्त होते ही लाभ अवश्य उठाता है । शोषण से बचने का सर्वोतम उपाय है शोषण को अतिशीघ्र सार्वजनिक करना तथा शोषण करने वालों की वास्विकता सार्वजनिक प्रकट करना । रिश्तों,सम्बन्धों, परिवार की मर्यादा या अपमान से डरकर चुप रहना मूर्खता होती है क्योंकि अनुचित कार्य शोषण करने वाला कर रहा है और हमारी चुप्पी उसकी रक्षा कर रही है । शोषण के प्रति चुप रहकर इन्सान शोषण करने वाले का हौसला बढाता है इस प्रकार अपराधी का साथ देने से पीड़ित स्वयं अपराधी बन जाता है । रिश्ता खून का भी हो यदि वह खून चूसने लगे या खून बहाने का प्रयास करे उसका त्याग करना ही बुद्धिमानी होती है क्योंकि जीवन सर्वोपरी है और जीवन की रक्षा करना प्रथम कर्तव्य है ।
Friday 12 February 2016
Happy Valentine’s Day 2016 Images, Wallpapers, Pictures And Pics
Happy Valentine’s Day 2016 Images, Wallpapers, Pictures And Pics – Below we have provided Valentine Day Quotes, SMS, Wishes, Wallpaper, Images. As we all know that Happy valentines day 2016 has come so we have taken in mind to post on Best Valentine Day Quotes, SMS, Wishes, Wallpaper, Images so that you can enjoy getting them easily.Valentine is a day which is made for all the people that share the bond of love and care, because of the history behind it. It is not hidden from anyone that Valentine’s Day is celebrated to cherish the love bond but only few people know that, it has been celebrated on the names of two saints named Valentine. That is why Valentine’s Day is also known as Saint Valentine’s Day. Happy Valentine’s Day 2016 Images, Wallpapers, Pictures And Pics Both of them were sentenced to death because of which 14 February is celebrated in their memory. Although this is one of the most popular days but there is no official holiday on this day. Because of the sacrifice made by these two men, this day has left a history behind it.
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This year share your love and your emotions, and express it in the most efficient way. You can take help of Valentine Day Quotes and SMS to say what you want to say. The smile of the person we love is the most important for us, so let them keep smiling by reading your messages and quotes. You can even send wishes with the help of wallpapers and images, which is also amongst innovative ideas. There are thousands of messages and SMSs available on web and that too in many languages, so that, you can send wishes in your own language. If you think this is hard to find then let me tell you, all you need to have for this is internet connection and either a laptop or a mobile. You can not only download these valentines day images but you can also send them to the person you want in the innovative ways. Happy Valentine’s Day 2016 Images, Wallpapers, Pictures And Pics of best sentences on them. I hope to like this my article and get more and more shares to social networking sites like facebook, twitter, google+ etc.
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Valentines Day is a day of love celebrating all over the world.
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It is a most awaited day for which all love
birds wait throughout the year.They use many ways to express love to their
valentines on all Happy Valentines Day.And Happy Valentines Day gifts are like
the easiest or best way to express love on this Happy Valentines Day 2016. But
wait, what are the Happy Valentine’s Day gifts for Girl Friend or What are the
Happy Valentines Day Gifts For Boyfriend?Also happy rose day quotes Don’t have
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Happy Valentine’s Day 2016 Funny Quotes
We had some close relations but in less than 7 months we broke up.And she is now Happy Valentine’s Day 2016 Funny Quotes girlfriend of my best friend. Lola I know its damn funny.so checkout here. But its not for those who broke up with their relationship recently. Valentine’s day may come out as the most painful day for those people.In early days people used to write diaries to remove the burden from their mind. You can also do that. Yup it’s a bit old fashion. But believe me you will feel awesome while writing some which you can share with your Family, brother, Cousins, relatives and make them aware from the Consequence of Falling in Love.People used to wait for valentine’s day to propose their girlfriends. Happy Valentine’s Day 2016 Funny Quotes Seriously? I mean, really I cannot understand how people just wait for some simple day to propose their girlfriends.
Happy Valentine’s Day 2016 Funny Sms, Quotes And Messages
Happy unimaginative, consumerist-oriented and entirely arbitrary manipulative and shallow interpretation of romance day.
Liking someone doesn’t mean you have to be lovers, sometimes you just have to be good friends.
Just remember being alone on Valentine’s day is no different than any other day of your life.
Love is just love, it can never be explained.
I am not yours, you’re not mine. Be my anti-valentine.
My love for you is beyond words. So don’t expect a valentine’s day card from me.
Don’t forget to leave work early today so that people actually think you have Valentine’s day plans.
Each time my heart is broken it makes me feel more adventurous.
I mean every day is quite same. We can show our love any day.Do you have the same Happy Valentine’s Day 2016 Funny Messages about valentine’s day?Then certainly either you didn’t find your true love or you had a break up with your girlfriend.Let’s do some serious thing first. So first I will post Normal Valentine’s day quotes. After that we will end by some Funny Anti Valentine’s day quotes.Previously, we covered a small but subtle short Valentine’s day poems over here.I hope you liked our a bit emotional article on Valentines day 2016 Funny Sms Messages, Quotes.Would you like to send us your favorite anti valentine day quotes If you want to share your thoughts on this then do comment below we will feature your quotes here.Another time to visit my website and get more Happy Valentine’s Day 2016 Funny Messages and more shares to social networking sites like facebook, twitter and google+ etc.
Valentines Day Cards for Boyfriend/ Girlfriend:- Valentines Day is the day of adoration. A day to be with all the warmth of your heart, with your dearest one. It is a day to make your unique individual realize how he/ she worth in your life. Furthermore to show, we require that exceptional card to win the heart and resuscitate the adoration. Indeed to express your adoration shockingly you require the blessing to charm the psyche.Valentines Day Cards for Boyfriend/ Girlfriend We are here to help you with 2015 Valentines Day cards for Boyfriend/girlfriend
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